Monday, February 2, 2015

रंगमंच और चित्रकला के अंतर्संबंधों की एक झलक के बीच

नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय नाट्य उत्सव के रूप में आयोजित हो रहे 17वें भारत रंग महोत्सव के मौके पर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के प्राँगण की साज-सज्जा को देखते हुए बामा अकादमी के निदेशक द्धय रामकुमार शर्मा तथा भारती शर्मा ने रंगमंच और चित्रकला के गहरे अंतर्संबंधों को नजदीक से महसूस और रेखांकित किया । उल्लेखनीय है कि रंगमंच और चित्रकला के गहरे अंतर्संबंधों का एक बहुत लम्बा इतिहास है । दो-ढाई हजार वर्ष पहले भरत ने रंगमंच और दूसरी प्रदर्शनकारी कलाओं के आपसी रिश्ते पर अपने नाट्यशास्त्र में बार-बार चर्चा की है । जहाँ एक ओर उन्होंने गायन, वादन, संगीत और नृत्य को रंगमंच में प्रमुखता प्रदान की है, वहीं ललित कलाओं जैसे कि चित्रकला, मूर्तिकला और स्थापत्य को भी बराबर का दर्जा दिया है । यह शायद आज तक भी निश्चित नहीं है कि मनुष्य ने अपने आदिम विकास की अवस्था में पहले ध्वनि और संकेतों की भाषा सीखी अथवा गुफाओं, चट्टानों, पत्थरों व धरती पर चित्र-भाषा की शुरुआत की । यह तो स्पष्ट है कि यह दोनों ही माध्यम उसकी आदिम अभिव्यक्ति के बहुत ही जीवंत विकल्प थे और दोनों एक दूसरे के साथ-साथ नहीं तो एक दूसरे के बाद अवश्य ही अस्तित्व में आ चुके थे । इस तथ्य के साथ रंगमंच और चित्रकला के अंतर्संबंधों को पहचानने की कोशिश करें तो उसके बहुत से रूप एक साथ दिखाई पड़ते हैं । संस्कृत नाटकों के आलेखों का चित्रकला के साथ तो बहुत गहरा रिश्ता रहा ही है, नल-दमयंती आख्यान में भी दमयंती के वियोग के दिनों में नल द्धारा उसका चित्र बना कर ही उसे याद करने का प्रसंग है । ऐसे ही बहुत से उल्लेख आधुनिक नाटकों में भी मिल जाते हैं । यह उदाहरण इस बात की पुष्टि करते हैं कि चाक्षुक माध्यम होने के कारण दोनों कलाओं के अंतर्संबंध बाकी कलाओं की तुलना में बहुत ठोस और व्यावहारिक रहे हैं । नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के प्राँगण में घूमते हुए राम कुमार शर्मा व भारती शर्मा ने दोनों कलाओं के अंतर्संबंधों की एक झलक को नजदीक से देखते हुए खुद को रोमांचित पाया, जिसे यहाँ इन तस्वीरों में भी पहचाना जा सकता है :











Sunday, August 31, 2014

अकादमी की आगे की गतिविधियाँ अब नए परिसर में

एक सितंबर से बामा अकादमी की गतिविधियाँ नए परिसर में होंगी । इस बाबत सारी तैयारी कर ली गई हैं । अकादमी के नए परिसर को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है । अकादमी के प्रवर्तक-निदेशक द्धय रामकुमार शर्मा और भारती शर्मा के दिशा-निर्देशन में गतिविधियाँ शुरू किए जाने से पहले की सारी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है । छोटी से छोटी जरूरतों और सुविधाओं का ध्यान रखते हुए हर वह काम कर लिया गया है जो उनके ध्यान में आया और या जिसका उन्हें ध्यान करवाया गया ।
अकादमी के नए परिसर को लेकर अकादमी के छात्रों तथा अकादमी से जुड़े कलाकारों में भी गहरी उत्सुकता और जिज्ञासा देखी गई है । इसी उत्सुकता और जिज्ञासा के चलते कल 30 और आज 31 अगस्त को कई छात्रों व कलाकारों ने अकादमी के नए परिसर का जायेजा लिया । इन दो दिनों में जो लोग भी यहाँ आए वह तैयारियों को देख कर खासे प्रभावित भी हुए और खुश भी । उन्होंने भी माना और कहा भी कि अकादमी का नया परिसर कामकाज के लिहाज से उनके लिए ज्यादा फ्रेंडली लग रहा है ।
अकादमी में कामकाज विधिवत रूप से शुरू होने से एकदम पहले की तैयारियों तथा स्थितियों का जायेजा यहाँ प्रस्तुत तस्वीरों में भी लिया जा सकता है :









Thursday, August 21, 2014

अकादमी का नया परिसर लगभग तैयार

परंपरागत तरीके से बामा अकादमी के नए परिसर में औपचारिक रूप से प्रवेश करने का आयोजन संपन्न कर लिया गया है, और अब जल्दी ही अकादमी के नये परिसर में गतिविधियाँ शुरू हो जायेंगी । अकादमी के प्रवर्तक-निदेशक द्धय रामकुमार शर्मा और भारती शर्मा ने विधिवत तरीके से प्रवेश के शुभ अवसर पर रीति-रिवाज के अनुसार होने वाली पूजापाठ को संपन्न किया और अकादमी के छात्रों व कलाकारों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना की और ईश्वर तथा अपने गुरु जी को पूर्ण श्रृद्धा के साथ याद करते हुए उनका आशीर्वाद लिया ।
अकादमी का नया परिसर पिछले परिसर की तुलना में बड़ा है - जिसका फायदा उठाते हुए छात्रों व कलाकारों के काम को यहाँ ऐसे एंगल पर स्थापित किया गया है, जिससे कि वह आगंतुकों को सहजता और स्पष्टता के साथ नजर आ सकें; तथा आगंतुकों को अकादमी के छात्रों व कलाकारों द्धारा किए गए काम से नजदीक से परिचित हो सकने का मौका मिल सके । अकादमी के नए परिसर को इस तरह डिजाइन और व्यवस्थित किया गया है जिससे कि छात्रों तथा यहाँ काम करने वाले कलाकारों को काम करने के लिए पर्याप्त स्पेस मिले । नए परिसर की बनावट भी ऐसी है कि प्राकृतिक रोशनी का भी पूरा-पूरा लाभ लिया जा सकता है ।
अकादमी के नए परिसर में बुनियादी काम लगभग पूरे हो चुके हैं और अब बस फाइनल टचेज देना ही बाकी रह गया है । जल्दी ही उसे भी पूरा कर लिए जाने का विश्वास है और उम्मीद है कि नया महीना अकादमी के नए परिसर में ही शुरू होगा । नया परिसर जितना अभी तैयार हुआ है, उसकी एक झलक यहाँ प्रस्तुत तस्वीरों में देखी जा सकती है :






Thursday, July 31, 2014

अकादमी नए परिसर में जाने की तैयारी में

बामा अकादमी जल्दी ही एक नए परिसर में शिफ्ट हो जाएगी । अकादमी का मौजूदा परिसर छात्रों, कलाकारों और आगंतुकों की बढ़ती संख्या तथा उसी हिसाब से बढ़ती जरूरतों को पूरा कर पाने के संदर्भ में छोटा पड़ रहा था और पिछले काफी समय से जगह की तंगी महसूस की जा रही थी ।  
अकादमी प्रबंधन के अनुसार, जगह की बढ़ती तंगी को देखते/पहचानते हुए अकादमी के लिए एक नए परिसर की तलाश की जा रही थी - जो अब पूरी हो गई है । छात्रों, कलाकारों और आगंतुकों की जरूरतों को देखते/समझते हुए नए परिसर में कई एक नई व्यवस्थाएँ की जा रही हैं, जिन्हें उपलब्ध करवा पाना चाहते हुए भी अभी तक संभव नहीं हो पा रहा था । अकादमी के नए परिसर की साज-सज्जा को अकादमी के प्रवर्तक-निदेशक राम कुमार शर्मा की देख-रेख में ही पूरा किया जा रहा है ।  
राम कुमार शर्मा का सारा ध्यान इस बात पर है कि अकादमी का नया परिसर छात्रों, कलाकारों तथा आगंतुकों के लिए ज्यादा से ज्यादा फ्रेंडली हो; और अकादमी के छात्रों व कलाकारों को काम करने के लिए उत्साहित करने वाला माहौल और स्पेस मिले । इसके लिए ही अकादमी के नए परिसर की डिजाइनिंग पर खास ध्यान दिया जा रहा है ।
अकादमी का नया परिसर मौजूदा परिसर से ज्यादा दूर भी नहीं है, जिस कारण अकादमी के छात्रों व कलाकारों के लिए वहाँ पहुँचने में कोई समस्या भी नहीं होगी । अकादमी के नए परिसर के नजदीक चूँकि पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है इसलिए यहाँ आने/पहुँचने में बल्कि ज्यादा सुविधा ही होगी ।  
अकादमी प्रबंधन के अनुसार, नए परिसर में छात्रों व कलाकारों की जरूरतों के अनुरूप हर तरह की सुविधा उपलब्ध होगी - जिससे की छात्रों व कलाकारों को अपनी सृजनात्मकता को व्यापकता और नया आयाम देने का अवसर मिलेगा; तथा वह कला जगत में अपनी उपस्थिति को और ज्यादा प्रभावी बना सकेंगे ।
अकादमी के नए परिसर के 'बनने' की तैयारियों का एक जायेजा यहाँ प्रस्तुत इन तस्वीरों में भी लिया जा सकता है :







  

Thursday, June 5, 2014

लखनऊ के कला एवं शिल्प महाविद्यालय में

बामा अकादमी के निदेशक द्धय राम कुमार शर्मा और भारती शर्मा ने लखनऊ में कला एवं शिल्प महाविद्यालय की भव्य तथा ऐतिहासिक इमारत के दर्शन तो किए ही, साथ ही महाविद्यालय के उपप्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद से मुलाकात और कई विषयों पर गहन बातचीत भी की । राजेंद्र प्रसाद से उनकी मुलाकात संयोगवश ही हुई । रविवार का दिन होने के बावजूद राजेंद्र प्रसाद अपने कार्यालय में परीक्षा संबंधी कामकाज निपटाने के उद्देश्य से उपस्थित थे । इससे भी ज्यादा दिलचस्प संयोग यह था - जैसा कि स्वयं राजेंद्र प्रसाद ने बताया - कि उन्हें एक दिन पहले चंडीगढ़ ऑर्ट कॉलिज में परीक्षा संबंधी काम के लिए निकलना था, लेकिन टिकट कंफर्म न हो पाने के कारण वह नहीं जा सके । राजेंद्र प्रसाद ने मजाक में कहा भी कि मेरी किस्मत में आज चंडीगढ़ के लोगों से मिलना लिखा ही था, मैं नहीं जा पाया तो आप यहाँ आ गए ।
राम कुमार शर्मा और भारती शर्मा की राजेंद्र प्रसाद के साथ कई विषयों पर गंभीर चर्चा हुई । उन्होंने अपने अपने पुराने दिनों के अनुभवों को तथा वरिष्ठ कलाकारों के साथ के अपने अपने बीते अनुभवों को एक-दूसरे के साथ बाँटा । चंडीगढ़ की कला गतिविधियों तथा चंडीगढ़ में कला अध्ययन की स्थितियों पर भी उनके बीच चर्चा हुई - जिससे जाहिर हुआ कि राजेंद्र प्रसाद का चंडीगढ़ के कला शिक्षा के केंद्रों से अच्छा परिचय है । राजेंद्र प्रसाद ने लखनऊ के कला परिदृश्य का तथा महाविद्यालय में बीएफए व एमएफए में दाखिले की स्थितियों तथा प्रक्रिया का संक्षिप्त परिचय दिया ।
लखनऊ के कला एवं शिल्प महाविद्यालय का वाश पेंटिंग के साथ गहरा नाता रहा है । राजेंद्र प्रसाद स्वयं वाश पेंटिंग के एक प्रतिष्ठित कलाकार हैं । राम कुमार शर्मा और भारती शर्मा को राजेंद्र प्रसाद के कार्यालय में उनकी कुछेक पेंटिंग देखने का अवसर भी मिला । पेंटिंग देखते हुए उनके बीच वाश माध्यम को लेकर तथा एक दूसरे की रचना-यात्रा को लेकर परिचयात्मक बातचीत भी हुई ।
लखनऊ के कला एवं शिल्प महाविद्यालय में राम कुमार शर्मा तथा भारती शर्मा द्धारा बिताये गए समय के कुछेक क्षणों को यहाँ इन तस्वीरों में देखा जा सकता है :